"कवित्त"
बन - मन आयं बड़ हितुवा हमार
बन-मन के बखान ,करे जाय नहीं भइया .
बन - मा रहिस - चउदा बछर राम कभू
मधुबन - मा रहिस किसन कन्हइया .
बन - मा बसय रिखि मुनि अउ बानप्रस्थ
ज्ञानी - ध्यानी अउ जप-तप के करइया.
बन - मा रहिस महामुनि बालमिकि हर
जग के तारक रमायन के रचइया .
बन - मा केउ किसिम अपने-अपन जामे
जम्मो रुख-रई मन होथैं बड़ काम के .
सइगोन ,सरई , खम्हार कर्रा,साजा,बीजा
खिरसाली , बाँस , सल्हिया चिरई जाम के .
धौंरा , तिलसा , सेनहा , भिरहा बोइर
मकोइया,मूढ़ी,मोदे,कलमीं,गिन्दोल आम के.
औरां , हर्रा, ,बेहरा , डूमर , चार , तेंदू , कुर्रु
कौहां मौंहा, खैर,गस्ती , बेल , कैथा नाम के .
सुरता भुलावौ झन परसा, कुसुम धनबहार
सेम्हर-रियाँ रोहिना - तमाम के.
बन - मा रहयं , किजरयं ,खायं अलमस्त
मलागर , मांचाडेवाँ बिज्जू बनबिलवा.
कोल्हिया , खेखर्री , हुंड़रा , बरहा , बनभैंसा
रेड़वा , गवर , ढुलबेंदरा , अउ भलुवा.
बाराडेरिहा , साम्हर , चीतर , चैरेंग , रोज
साई कुकरी , हरिन , कोटरी अउ लिलवा.
खरहा , मंजूर , करसायल अउ सिंह गेंडा ,
हाथी - हथनिन , सोन कुकुर के पिलवा .
बन के बिरिच्छ मन,जड़ी - बूटी,कांदा-कुसा
फल - फूल ,लकड़ी अउ देयं डारा -पाना जी .
हाड़ा - गोड़ा , माँस -चाम,चरबी,सुरा के बाल
मौहां औ मंजूर पाँखी देय मनमाना जी .
लासा , कोसा , मंदरस ,तेल बर बीजा देयं
जभे काम पड़े , तभे जंगल में जाना जी .
बाँस ,ठारा , बांख ,कोयला , मयाल कांदी औ
खादर , ला -ला के तुम काम निपटाना जी.
- स्व.कोदूराम "दलित"
जनकवि स्व.कोदूराम 'दलित' की 45 वीं पुण्यतिथि सुन्दर श्रद्धांजलि और प्रस्तुति
ReplyDeleteस्व.कोदूराम "दलित" की कविता शेयर करने के लिए हार्दिक आभार,अरुण जी.
ReplyDeleteजनकवि स्व.कोदूराम दलित जी को विनम्र श्रधांजलि
ReplyDeleteउनके द्वारा रचित समस्त काव्य सरल सहज समझने योग्य है
उन दिनों इस प्रकार की रचना का सृजन अपने आप में
आपकी विद्वनता का बखान करती है
आपको सादर नमन
आपकी यह रचना दिनांक 07.06.2013 को http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
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