Saturday, March 19, 2011

रेमटा टुरा - २ ,चिपरिन के मही

ममा गाँव मा रहे एक झन
ठेठ्वारिन दाई अंकलहिन्
बेलमार  के मइके ओखर
बढौवल नाम बेलमरहिन्


ओखर घर मा गैया भैसी
रहे कोठार बियारा
खोरबाहरा मंगलू चरवाहा
अऊ , पहटिया मन करे तियारा


किसम -किसम के जेवर गहना
पहिरे रहे लदलदावै
आनी-बानी के चीज़-बस
दूध-दही के नदी बोहावै


चिपरिन डोकरी सास ओखर
मही बेचे बार जावै
मही ले वो - मही ले वो
गली गली चिल्लावै


जेठू के रेमटा टूर हा
चिपरिन ला रोज़ बलावै
अपन दाई मेर जिद्दी करके
रोजेच मही लेवावै


ठंडा दिन मा रमकेलिया साग
अम्टाहा मा रंधवावै
जुर - सर्दी धरे रहे ओला
नाक हा गजब बोहावै 


एक दिन समधी पारा ले
आये रहे सगा पहुना
रेम्टा के दाई चौका मा जाके
बनावन लगिस जेवना


मही अऊ दूध के लोटा गंजी
संगे संग आला मा रहे माढ़े
चाहा बनाईस , दूध के धोखा मा
मही ला ओमा डारे


समधी मन हा चाय ला पीके
गजब रहे ओकियावै
वही बखत ले रेम्टा के दाई
चिपरिन ला देखे खिसयावै


- श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर , दुर्ग

प्रियदर्शिनी इंदिरा


19 नवम्बर 1917
शीतकाल थी रात उजियारी
इस दिन जन्म हुआ था आपका
गूंजी थी पहली किलकारी

माता कमला नेहरु , आपके
पिता जवाहरलाल
बेटी बनकर जनम लिया
दुनिया में किया उजाल

इलाहाबाद में बचपन बीता
प्राथमिक शिक्षा रही घर में
कॉलेज की पढाई विलायत में की
ऑक्सफोर्ड - लन्दन शहर में

सन 42 में विवाह हुआ था
2 बेटो की बनी माता
पर नियति को मंजूर नहीं था
घर-गृहस्थी से आपका नाता

पिता की प्रेरणा और प्रभाव से
राजनीति मिली विरासत में
सूचना प्रसारण मंत्री बनी थी
शास्त्री जी की हकूमत में

प्रधानमंत्री का पद मिला
सन 66  में पहली बार
कुशल प्रशासन किया आपने
दुश्मन को किया लाचार

मैत्री निभाई साम्यवाद से
पूंजीवाद से किया था किनारा
जन-जन के दिल पे राज किया
गरीबी हटाओ का दिया था नारा

नारी की तुम बनी प्रेरणा
देश का मान बढाया था
सारी दुनिया देखती रह गयी
तिरंगा जब फ़हराया था

चिर परिचित मुस्कान आपकी
महक उठी-वसुंधरा
इन्द्रलोक से आई थी जैसे
प्रियदर्शिनी-इंदिरा .......!!!

-
श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर दुर्ग , छत्तीसगढ़

Friday, March 18, 2011

अड़हा टूरा के कहनी

  - श्रीमती सपना निगम
हमर गाँव माँ एक झन जुवर्रा टूरा रहिस हे.मूड ला अडबड खजुवाय लडर-बडर गोठियावय .  .ओखर  मूड माँ बहुत अकन ले जुवा अउ लीख फरे रहाय . एक झन मितान हा ओला बताइस - ''आज-कल जुवा-लीख ला मारे बर नवा शेम्पू    आय हेएको बेर लगा लेते , तोर समस्या हा हल हो जाही. बने साफ-सुथरा रहे कर भाई. ! मितान हा ओला शरीर के साफ-सफाई के  महत्व बताइस . जुवर्रा टूरा हा तरिया माँ नहाय ला जात रहिस. ओला मितान के बात सुरता आइस.जात-जात सोचिस - आज शेम्पू लगा के बने खल-खल ले नहाहूँ   .तरिया माँ डुबकहूँ  अउ   मूड ला फरियाहू . वो हा दुकान माँ जाके कहिस- भाई मोला बाल सफा करेके शेम्पू देबे. दुकानदार मेर ले वो हा शेम्पू लेके तरिया चल दिस. शेम्पू लगा के, बने मूड ला मींज के नहाइस  बपुरा हा , तरिया माँ बूड के जइसे  निकलिस अउ सोचिस ,आज तो मोर चुंदी हा शाहरुख़ सही बने फ़रियागे  होहीअरे ......ये का ? मूड माँ जइसने  हाथ लगाइस ,वोखर चूंदी मन सब गे  रहाय . रोवन लागिस बिचारा अउ मितान ला अडबड गारी देवन लागिस. टावेल-गमछा माँ अपन मूड ला तोप के गारी देवत-देवत मितान- घर गईस. मितान हा ओला नहीं चीन्हीस .तय कोन हस, मोरे घर माँ आके मोहि ला गारी देवत हस. अड़हा टूरा अपन नाव बताइस  अउ अपन मूड ला देखाइस  .अरे..... ये का ? तोर तो सब्बो चूंदी सफा हो गे.चल तो दुकानदार ला धमकाबो, वो हा का शेम्पू दे रहिस , दुनों झन दुकान माँ गईंन  .दुकानदार हा बताइस  -बाबू ! तयं  हा बाल सफा करे बर शेम्पू मांगे रहे.बाल साफ करे बर  मांगे रहिते तो वइसन शेम्पू देये रहितौं. मोर  कुछु गलती नहीं हे.अड़हा बिचारा का करय ? थोरिक भी पढ़े-लिखे रहितिस ये नौबत नहीं आतिस.
पढ़े-लिखे के बात ला सुन के  ,मूडी  ला खजुवावौ, 
बेटा-बेटी माँ फरक झन करव ,सबला  पढ़ावौ -लिखावौ.

Saturday, March 12, 2011

गीत - "कुकरी महारानी"

- श्रीमती  सपना निगम

कइसने  नरी - ला टेड़वाय
गजब    पाँखी   फड़फड़ाय
येती   कुकरी   कोरकोराय
वोती    कुकरा     नरियाय
कूद- फांद  के चढ़े खपरा- छानी
एला हकालौ हो ननदी- देवरानी .


कोड़ा   देवय   ,नइ  मानय
गजब    कचरा      बगराय
कहूँ     गेंगरवा      सपराय 
एके     सांहस -  मा    खाय
दिन- भर किन्जरे बर जाय
सँझा कुरिया- मा ओयलाय
कोन्हों करे नइ  इंकरे  निगरानी
एला हकालौ  हो ननदी - देवरानी .


रुखराई  -  मा   चढ़    जाय
कुकरुस  -  कू      नरियाय
कहूँ     घुरवा    देखे    पाय
भात - बासी  बिन के  खाय
जेखर   खिरपा   नइ देवाय
वोखर घर -मा  खुसर जाय
हवय कुकरी के कोन्हों लागमानी
 एला हकालौ  हो ननदी - देवरानी .


सूपा     के      कनकी -  ला
सरी   बीन     के         खागे
गहूँ  -  ला   सुखोए      रहेवं
सब्बो                     बगरागे
बिलई के आरो पागे,कुकरी डर्रागे 
नान  -  नान  चियाँ - पिला
जतर    -   कतर         भागे
अउ कुकरा भुलागे   पहलवानी
एला हकालौ हो ननदी- देवरानी .


रद्दा रेंगाय नहि इंकरे  मन के मारे
परछी-दुवारी मा गजब पचरी पारे
काली     के       लिपाये      रहिस
आज          ओदरा                 डारे
सरी      घर  -         दुवार         के
कोठार              बना               डारे
गाँव         भर   के   रहे   परिसानी
 हकालौ  हो  ननदी   -       देवरानी .
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