चार बजे उठ जावे ओहा
सरी गाव ला सोरियावे ओहा
माता देवाला के लीम ला चढ़ के
कूकरुसकू नरियावे ओहा
सरी गाव ला सोरियावे ओहा
माता देवाला के लीम ला चढ़ के
कूकरुसकू नरियावे ओहा
गुरतुर ओखर बोली लागे
गजब चटपटा मसाला हे
मोर कुकरा कलगी वाला हे ....
गजब चटपटा मसाला हे
मोर कुकरा कलगी वाला हे ....
मोर कुकरा रेंगे मस्ती मा
यही चाल ओखर अंदाजा हे
बस्ती के गली गली किंजरे
सब कुकरी मन के राजा हे
यही चाल ओखर अंदाजा हे
बस्ती के गली गली किंजरे
सब कुकरी मन के राजा हे
दिल फेंक बड़े दिलवाला हे
मतवाला हे मधुशाला हे
मोर कुकरा कलगी वाला हे ....
मतवाला हे मधुशाला हे
मोर कुकरा कलगी वाला हे ....
ओखर, काँखी मा चितरी पाँखी हे
पंजा मा धारी नाखी हे
पियुरी चोंच हे , ठोनके बर
अऊ जुगुर जुगुर दोनों आँखी हे
पंजा मा धारी नाखी हे
पियुरी चोंच हे , ठोनके बर
अऊ जुगुर जुगुर दोनों आँखी हे
ओखर, झबरी पूँछी मा हाला हे
नड्डा मा झूलत बाला हे
मोर कुकरा कलगी वाला हे ....
दुनिया में सबले निराला हे ...
नड्डा मा झूलत बाला हे
मोर कुकरा कलगी वाला हे ....
दुनिया में सबले निराला हे ...
आदित्य नगर ,दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )
{शब्दार्थ :- मोर=मेरा , कुकरा = मुर्गा ,ओहा = वह , सरी = सारे ,सोरियावे = शोर मचाए , नरियावे = चिल्लाये ,गुरतुर = मधुर या मीठा , ओखर = उसका/उसकी ,किंजरे = भ्रमण करे , कुकरी मनके = मुर्गियों का ,काँखी = बगल , आँखी = आँख ,पाँखी = पंख ,नाखी = नाखून ,चितरी = चितकबरी , पियुरी = पीली, ठोनके बर = ठुनकने के लिये }