Sunday, December 21, 2014

दोहे –



दोहे – 

मयँ बासी हौं भात के, तयँ मैदा के पाव
मयँ गुनकारी हौं तभो, तोला मिलथे भाव |  

मयँ सेवैया-खीर हौं, तयँ नूडल- चउमीन
मयँ बनथौं परसाद रे, तोला खावयँ छीन |

मयँ चीला देहात के, मयँ भर देथवँ पेट
तयँ तो खाली चाखना, अंडा के अमलेट |

मयँ अंगाकर मस्त हौं, तयँ पिज्जा अनमोल
अंदर बाहिर एक मयँ, तयँ पहिरे हस खोल |

अरुण  कुमार निगम

Thursday, October 2, 2014

स्वच्छ भारत अभियान ...



अरुण कुमार निगम

सहर  गाँव मैदान – ला, चमचम  ले  चमकाव
गाँधी जी के सीख – ला , भइया  सब अपनाव ||

लख-लख ले अँगना दिखय, चम-चम तीर-तखार
धरव   खराटा   बाहरी , आवव   झारा - झार ||

भारत भर - मा चलत हवय, सफई के अभियान
जुरमिल करबो साफ हम , गली  खोर खलिहान ||
 
आफिस  रद्दा  कोलकी  ,  घर  दुकान  मैदान
रहयं साफ़ – सुथरा सदा, सफल होय अभियान ||

साफ़ - सफाई  धरम  हे , एमा  कइसन लाज
रहय देस - मा स्वच्छता, सुग्घर स्वस्थ समाज
 

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग [छत्तीसगढ़]

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