दोहे
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मयँ गुनकारी हौं तभो, तोला मिलथे भाव |
मयँ सेवैया-खीर हौं, तयँ नूडल- चउमीन
मयँ बनथौं परसाद रे, तोला खावयँ छीन |
मयँ चीला देहात के, मयँ भर देथवँ पेट
तयँ तो खाली चाखना, अंडा के अमलेट |
मयँ अंगाकर मस्त हौं, तयँ पिज्जा अनमोल
अंदर बाहिर एक मयँ, तयँ पहिरे हस खोल |
अरुण कुमार निगम