दोहे
–
मयँ गुनकारी हौं तभो, तोला मिलथे भाव |
मयँ सेवैया-खीर हौं, तयँ नूडल- चउमीन
मयँ बनथौं परसाद रे, तोला खावयँ छीन |
मयँ चीला देहात के, मयँ भर देथवँ पेट
तयँ तो खाली चाखना, अंडा के अमलेट |
मयँ अंगाकर मस्त हौं, तयँ पिज्जा अनमोल
अंदर बाहिर एक मयँ, तयँ पहिरे हस खोल |
अरुण कुमार निगम
wah kya asliyat samane la di
ReplyDeleteअसली नकली समझ ले, ऑखी ला झन मूँद
ReplyDeleteसोना पीतल ला परख, लेवना ल झन खूँद ।
बहुत बढ़िया
Deleteबिकट बढ़िया दोहा गुरुदेव
ReplyDeleteबड़ सुघ्घर दोहा गुरुदेव
ReplyDeleteबिकट सुग्घर गुरु देव
ReplyDeleteबढ़िया बात बोलत हस गा informative पोस्ट यहाँ पढ़व
ReplyDelete