Monday, May 30, 2011

श्रीमती सपना निगम की कविता : पढ़ो – बढ़ो अभियान , हमर छत्तीसगढ़ के शान


बाँधा तरिया  के खाल्हे मा
रहिथय देवर हमार
टीना ,लोहा ,प्लास्टिक के
करे वो हा व्यापार.

पढ़े के दिन मा पढ़े नहीं
स्कूल ले रहे भगाय
खार बगीचा मा किंजरे
अउ आमा , अमली गिराय.

स्कूल तीर के डबरी मा
मेचका – मछरी धरे बर जाय
बोरिंग ला गजब टेंड़ – टेंड़ के
कुकुर – पिला ला नहवाय.

फुरफुंदी के पूँछी मा
बाँधे रहे पतंग कस डोर
एती – ओती उड़ावय ओला
किंजरे गली अउ खोर.


बिल्लस ,बाँटी ,भौंरा खेले
रेस-टीप खेलवाय
जौन गड़ौला खेले ओखर संग
लंगड़ी ओला कूदवाय.

पढ़े लिखे कहूँ रहितिस तब
मिल जातिस बने कुछू काम
काम कुछू सुधरे नहीं
होगे ओखर नींद हराम.

निकले रहे बिहिनिया ले
हाथ ठेला धर के जाये
“टीना , लोहा , प्लास्टिक
शीशी बाटल” –चिल्लाये.

कबाड़ समान अउ रद्दी कागज
बेचे अउ बिसाय
घर के दुवारी मा लानय
अउ ढेरी ओखर लगाय.

अतका काम ला करके भी
चले नहीं ओखर गुजारा
मूड़ ला धर के बइठ जावय
का करे वो बिचारा.

बचपन के गलती ओला
अभिन समझ मा आय रहे
अपढ़ रहे के कारन से
गरीबी ओला भरमाय रहे.

अपन लइका ला मैं ह पढ़ाहूँ
कसम अइसन वो खाये रहे
ज्ञान के रद्दा देखाये खातिर
स्कूल मा भरती कराये रहे.

पढ़ो – बढ़ो अभियान
हमर छत्तीसगढ़ के शान
बेटा – बेटी पढ़िही हमर
बन जाही देस महान.

- श्रीमती सपना निगम
  आदित्य नगर , दुर्ग
   (छत्तीसगढ़)

Tuesday, May 24, 2011

छत्तीसगढ़ी गीत :नइ भूलय मिट्ठू तपत कुरू


आई लव यू.........आई लव यू....
तयं बोल रे मिट्ठू , आई लव यू....
तपत कुरु के     गये  जमाना
बोल रे मिट्ठू -      आई लव यू.....

राम-राम के बेरा -मा, भेंट होही  तो गुड मार्निंग कहिबे
ए जी,ओ जी झन कहिबे,कहिबे तो हाय डार्लिंग कहिबे
सबो पढ़त हे इंग्लिश मीडियम
तयं    काबर  रहिबे    पाछू .....
आई लव यू.........आई लव यू....
तयं बोल रे मिट्ठू , आई लव यू....

हाट - बजार के नाम न ले ,    तयं मार्केटिंग बर जाये कर
कोन्हों क्लब के मेंबर बन के ,रोज स्वीमिंग बर जाये कर
समझ न आये इंग्लिश पेपर
तभो   मंगाए   कर   बाबू.....
आई लव यू.........आई लव यू....
तयं बोल रे मिट्ठू , आई लव यू....

बड़े   बिहाने   ब्रेक-फास्ट ,   मंझनिया    लंच  उड़ाए कर
चटनी-बासी  छोड़ के  अब तयं  रतिहा  डिनर  खाए  कर
नवा जमाना ,शहर-नगर -मा
छागे इंग्लिश के जादू .........
आई लव यू.........आई लव यू....
तयं बोल रे मिट्ठू , आई लव यू....

अतका सुन के मिट्ठू बोलिस..........

तपत कुरु.........तपत कुरु........
नइ भूलय  मिट्ठू तपत कुरु
छत्तीसगढ़ी बड़ गुरतुर लागे
इंग्लिश लागे करू -करू...........

अपन देस के रहन-सहन,अउ भासा के तुम मान करव
चमक-दमक मा झन मोहावहीरा के पहिचान करव
"
सबूत-बीजा " हमर  धरोहर
बाकी जम्मो    ढुरु - ढुरु..........
तपत कुरु.........तपत कुरु........
नइ भूलय  मिट्ठू तपत कुरु ......नइ भूलय  मिट्ठू तपत कुरु ......
नइ भूलय  मिट्ठू तपत कुरु ......नइ भूलय  मिट्ठू तपत कुरु ......

      -
अरुण कुमार निगम

Tuesday, May 17, 2011

छत्तीसगढ़ी वियोग श्रृंगार गीत- पीरा संग मया होगे.....

अइसन मिलिस मया सँग पीरा
पीरा
सँग मया होगे
पथरा ला पूजत-पूजत मा
हिरदे मोर पथरा होगे.

महूँ सजाये रहेंव नजर मा

सीस महल के सपना ला
अइसन टूटिस सीस महल के
आँखी मोर अँधरा होगे.

सोना चाँदी रूपया पइसा

गाड़ी बंगला के आगू
मया पिरित अउ नाता रिस्ता
अब माटी - धुर्रा होगे.

किरिया खाके कहे रहे तयं

तोर संग जीना-मरना हे
किरिया तोड़े ,सँग ला छोड़े
आखिर तोला का होगे .

जिनगानी ब्यौपार नहीं ये

मया बिना कुछू सार नहीं
तोर बिना मनभाये- संगी
जिनगानी बिरथा होगे.

-अरुण कुमार निगम

 आदित्य नगर,दुर्ग
 (छत्तीसगढ़)

Monday, May 9, 2011

दीदी के पठोनी (गौना)

घर मा हमार गजब पहुना सकलाये  हे
दीदी  के पठोनी हे  भाँटो हर आये  हे

आय हे लेवाल, भाँटो के   लबरा मामा

महुआ ला  पी के    , मचाये  हे हंगामा
पहिरे हे कइसन ले  टंग टंगहा पैजामा
पिचके हे गाल जानौ गुलगुलहा आमा

मुंहू मा दाँत नइये ,   मेछा रंगाये  हे

दीदी  के पठोनी हे  भाँटो हर आये  हे

रांधे हे दाई   बरा ,  भजिया ,  सोंहारी

दार  भात   संग  रांधे मछरी तरकारी
घेरी  बेरी  होगे  ये  बिलाई ला खेदारी
कनिहा  पिरागे    धरे बइठे हौं तुतारी

बहिनी ! कारी नंनदिया तोर मोला बिजराये हे

दीदी  के पठोनी हे  भाँटो हर आये  हे

ठेठरी,  खुरमी , करी लाडू    बनवाये हे

अरसा   पपची     घर   भर  मह्माये हे
रखिया के बरी  ,    जीमी कंदा के खुला
ममा दाई पापड़ बिजौरी धर के आये हे 

बड़े बड़े  झाँपी मा जोरन तोर जोराये हे

 दीदी  के पठोनी हे  भाँटो हर आये  हे

बिहने ले  काली  होही  बराती   मन रवाना

उगती सुरुज के बेरा  दीदी , दुरिहा हे जाना
सुरता आही मइके के तैं आँसू झन गिराना
भाई आही लिहे बर   तीजा पोरा के बहाना  

तोर बिना रहूँ कइसे मन हा अकुलाये हे

दीदी  के   पठोनी   हे  भाँटो हर आये  हे

रेशमहिया   लुगरा   मा    गाड़ी   सजाय हे

धौंरा   बइला मा     बइलागाड़ी    फंदाय हे
कुरा ससुर   बहिनी   तोर लकर्री मचाये हे
जल्दी जल्दी करो बिदा कहिके चिल्लाये हे

नता जनम जनम के तोरे गाँठ मा जोराये हे

दीदी  के पठोनी हे  भाँटो हर आये  हे

-श्रीमती सपना निगम
  आदित्य नगर,दुर्ग
  (छत्तीसगढ़)

Monday, May 2, 2011

व्यंग्य रचना- "अंकल-आंटी "

ममा ! कका ! कोन्हों नहीं जाने
दीदी ! भाँटो !कोन्हों  नहीं  माने
भुलागे   हे  सब  संगी ! मितान !
अंग्रेज  मन  बन  गे   हे  महान
हमर  देस  के  नहीं हे पहिचान
रिश्ता  - नाता  के  छूटे  परान .

जउन  कहूँ बोलय
अंकल -आंटी !
बाँधव  ओखर  गला - मा  घंटी
बइला   कस   हकालौ    ओला
मारव   ओला   सूंटी   च   सूंटी
मारव   ओला   सूंटी   च   सूंटी
अउ  
बोलबे   रे !  मोला  आंटी.

कोन्हों  ला  देखे  बोलय आंटी
कोन्हों   ला    कहिदे   अंकल
जेल     पाय      तेला    कहय
अंकल -आंटी  ,  आंटी-अंकल !

 
जौन कहूँ बोलही तुम्हला अंकल
बाँधीहौ  उन्कर  नरी - मा संकल.

बेंदरा     कस     घुमावौ     ओला
इहाँ   -   उहाँ     नचावौ     ओला

 
सोचो   बिचारौ  तुम सब आज
ये  हमर  देस  के  नोहै  रिवाज
दूसर  के   देखा  -  देखी  -  मा
बदलौ झन तुम अपन अंदाज
पागे  हौ   तुम  अपन   सुराज
अपन संस्कृति के राखव लाज.


 -श्रीमती सपना निगम
   आदित्य नगर , दुर्ग
   छत्तीसगढ़

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