अरुण कुमार निगम
सहर गाँव मैदान – ला, चमचम ले चमकाव
गाँधी जी के सीख – ला , भइया सब अपनाव ||
लख-लख ले अँगना दिखय, चम-चम तीर-तखार
धरव खराटा बाहरी , आवव झारा - झार ||
भारत भर - मा चलत हवय, सफई के अभियान
जुरमिल करबो साफ हम , गली खोर खलिहान ||
आफिस रद्दा कोलकी , घर दुकान मैदान
रहयं साफ़ – सुथरा सदा, सफल होय अभियान ||
साफ़ - सफाई धरम हे , एमा कइसन लाज
रहय देस - मा स्वच्छता, सुग्घर स्वस्थ समाज
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग [छत्तीसगढ़]
Sir blog ko thoda achha design dijiye n accha lagega
ReplyDeleteआदरणीय सादर परनाम।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना।
ला' धन 'ल' उपर, मोर हिसाब से बिचार करे के जरूरत है
मियानी गोठ छत्तीसगढ़ मोला अब्बड़ सूघ्घर लगिस
ReplyDelete