Tuesday, June 21, 2011

मोर कुकरा कलगी वाला हे ( गीत )


 

दुनियाँ में सबले निराला हे ....
मोर कुकरा कलगी वाला हे ....
चार बजे उठ जावे ओहा
सरी गाव ला सोरियावे ओहा
माता देवाला के लीम ला चढ़ के
कूकरुसकू नरियावे ओहा
गुरतुर ओखर बोली लागे
गजब चटपटा मसाला हे
मोर कुकरा कलगी वाला हे ....
मोर कुकरा रेंगे मस्ती मा
यही चाल ओखर अंदाजा हे
बस्ती के गली गली किंजरे
सब कुकरी मन के राजा हे
दिल फेंक बड़े दिलवाला हे
मतवाला हे मधुशाला हे
मोर कुकरा कलगी वाला हे ....
ओखर, काँखी मा चितरी पाँखी हे
पंजा मा धारी नाखी हे
पियुरी चोंच हे , ठोनके बर
अऊ जुगुर जुगुर दोनों आँखी हे
ओखर, झबरी पूँछी मा हाला हे
नड्डा मा झूलत बाला हे
मोर कुकरा कलगी वाला हे ....
दुनिया में सबले निराला हे ...


 आदित्य नगर ,दुर्ग  ( छत्तीसगढ़ )
{शब्दार्थ :- मोर=मेरा , कुकरा = मुर्गा ,ओहा = वह , सरी = सारे ,सोरियावे = शोर मचाए , नरियावे = चिल्लाये ,गुरतुर = मधुर या मीठा , ओखर = उसका/उसकी ,किंजरे = भ्रमण करे , कुकरी मनके = मुर्गियों का ,काँखी = बगल , आँखी = आँख ,पाँखी = पंख ,नाखी = नाखून ,चितरी = चितकबरी , पियुरी = पीली, ठोनके बर = ठुनकने के लिये }

20 comments:

  1. मनमोहक रचना ........ बहुत सुंदर चित्रण किया आपने....

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  2. बहुत ख़ूबसूरत और शानदार रचना! बेहद पसंद आया!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  3. मोर कुकरा कलगी वाला हे ....
    दुनिया में सबले निराला हे ....

    बहुत सुन्दर कविता है। छत्तीसगढ़ी भाषा में पढना और अच्छा लगा।

    .

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  4. बहुत ख़ूबसूरत और शानदार रचना| धन्यवाद|

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  5. चार बजे उठ जावे ओहा
    सरी गाव ला सोरियावे ओहा
    क्या कहने!
    सुन्दर कविता है.

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  6. दुनियाँ में सबले निराला हे ....
    मोर कुकरा कलगी वाला हे

    बहुत ख़ूबसूरत और शानदार रचना.

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  7. बड़ी मनमोहक कविता है ....मिठास भरी

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  8. "कुकरा कलगी वाला हे"

    अति सुंदर

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  9. "कुकरा कलगी वाला हे"-मिठास भरी कविता धन्यवाद|

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  10. लोकरंग में रचाबसा ख़ूबसूरत गीत....

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  11. ekk achhi comment likhne k liye bahut bahut dhanyavad..

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  12. क्षेत्रीय भाषा में बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति .

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  13. लोकगीत भी निराला है. बधाई.

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  14. ओखर, झबरी पूँछी मा हाला हे
    नड्डा मा झूलत बाला हे
    मोर कुकरा कलगी वाला हे
    दुनिया में सबले निराला हे ...


    सुन्दर रचना....

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  15. मनमोहक रचना ........ बहुत सुंदर चित्रण किया आपने....

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  16. सुन्दर रचना पढ़वाने के लिए आभार

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  17. मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है! मेरा ब्लॉग का लिंक्स दे रहा हूं!

    हेल्लो दोस्तों आगामी..

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  18. दुनियाँ में सबले निराला हे ....
    मोर कुकरा कलगी वाला हे ..
    kya sunder bhav naya vishya hai
    rachana

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  19. सपना जी, कभी छत्तीसगढ़िया भाषा नहीं सुनी थी. आप ने शब्दों के अर्थों की सूची साथ में दे कर बहुत बढ़िया काम किया है. लोकगीत भी बहुत सुन्दर है.

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