- श्रीमती सपना निगम
दाई तहीं मोर जीवन आधार....
तोर धुर्रा –माटी मा सनाएंव
तोर खेत-खार मा खेलेंव-खाएंव
तरिया-नदिया मा तोर नहाएंव
तोर गली-खोर मा मँय इतराएंव.
मोर जिनगी हे तोर उधार
दाई तहीं मोर जीवन आधार....
जंगल तोर गजब गदराये
माटी तोर सोंधी महकाये
डोंगरी-पहाड़ी मा बोले मैंना
कोयली कूके, गीत सुनाये.
लहकय तोर तेंदू अउ चार
दाई तहीं मोर जीवन आधार....
तोर बोली हवे मोर चिन्हारी
तँहीं मोर ननपन के संगवारी
तँहीं मोर मयारू महतारी
तँहीं देस के पालनहारी.
तँय दिल के बड़े उदार
दाई तहीं मोर जीवन आधार....
-श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर , दुर्ग
(छत्तीसगढ़)
{ महतारी = माँ , जोहार = अभिवादन / नमस्कार , दाई = माँ , धुर्रा = धूल ,माटी = मिट्टी , तरिया = तालाब , चिन्हारी = पहचान , मयारू = ममतामयी ,तँहीं = तुम ही ,मोर = मेरा , तोर =तेरा }
तोर बोली हवे मोर चिन्हारी
ReplyDeleteतँहीं मोर ननपन के संगवारी
तँहीं मोर मयारू महतारी
तँहीं देस के पालनहारी...
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! लाजवाब और भावपूर्ण प्रस्तुती!
तोर बोली हवे मोर चिन्हारी
ReplyDeleteतँहीं मोर ननपन के संगवारी
तँहीं मोर मयारू महतारी
तँहीं देस के पालनहारी.
तँय दिल के बड़े उदार
दाई तहीं मोर जीवन आधार.
apni boli apni mitti alag hi sukh deti hai ,maa to aakhir maa hi hoti hai ,main bhi isi boli se judi hoon ,padhkar sukh ki anubhuti hui .
बहुत सुन्दर रचना शेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार और सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteआपका तहेदिल से शुक्रिया मेरे ब्लॉग पे आने के लिए और शुभकामनाएं देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद/शुक्रिया..
ReplyDelete9 दिन तक ब्लोगिंग से दूर रहा इस लिए आपके ब्लॉग पर नहीं आया उसके लिए क्षमा चाहता हूँ ...आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
ReplyDeleteBahut dundar abhivyakti.
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