Tuesday, May 17, 2011

छत्तीसगढ़ी वियोग श्रृंगार गीत- पीरा संग मया होगे.....

अइसन मिलिस मया सँग पीरा
पीरा
सँग मया होगे
पथरा ला पूजत-पूजत मा
हिरदे मोर पथरा होगे.

महूँ सजाये रहेंव नजर मा

सीस महल के सपना ला
अइसन टूटिस सीस महल के
आँखी मोर अँधरा होगे.

सोना चाँदी रूपया पइसा

गाड़ी बंगला के आगू
मया पिरित अउ नाता रिस्ता
अब माटी - धुर्रा होगे.

किरिया खाके कहे रहे तयं

तोर संग जीना-मरना हे
किरिया तोड़े ,सँग ला छोड़े
आखिर तोला का होगे .

जिनगानी ब्यौपार नहीं ये

मया बिना कुछू सार नहीं
तोर बिना मनभाये- संगी
जिनगानी बिरथा होगे.

-अरुण कुमार निगम

 आदित्य नगर,दुर्ग
 (छत्तीसगढ़)

7 comments:

  1. जिनगानी ब्यौपार नहीं ये
    मया बिना कुछू सार नहीं
    तोर बिना मनभाये- संगी
    जिनगानी बिरथा होगे.

    बहुत सुंदर ... अर्थपूर्ण पंक्तियाँ रची हैं....

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  2. विरह पर लिखी गयी बेहतरीन रचना, बधाई अरुण जी । आपके अन्दर के कवि को नमन।

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  3. किरिया खाके कहे रहे तयं
    तोर संग जीना-मरना हे
    किरिया तोड़े ,सँग ला छोड़े
    आखिर तोला का होगे ..

    बढिया है..

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  4. कैसे हैं अरुण जी...आज देखा...दरअसल जब से भारत से आया हूँ, तीन माह हो गये किन्तु व्यस्ततायें बनी हैं. संपर्क बनाये रखिये. जबलपुर में आपसे मिल कर अच्छा लगा.

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  5. सोना चाँदी रूपया पइसा
    गाड़ी बंगला के आगू
    मया पिरित अउ नाता रिस्ता
    अब माटी - धुर्रा होगे.

    छत्तीसगढ़ी की मीठी-बोली में यथार्थ का सुन्दर वैचारिक प्रस्तुतिकरण...

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  6. सुन्दर वैचारिक प्रस्तुतिकरण...

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  7. जिनगानी ब्यौपार नहीं ये
    मया बिना कुछू सार नहीं

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