Monday, May 9, 2011

दीदी के पठोनी (गौना)

घर मा हमार गजब पहुना सकलाये  हे
दीदी  के पठोनी हे  भाँटो हर आये  हे

आय हे लेवाल, भाँटो के   लबरा मामा

महुआ ला  पी के    , मचाये  हे हंगामा
पहिरे हे कइसन ले  टंग टंगहा पैजामा
पिचके हे गाल जानौ गुलगुलहा आमा

मुंहू मा दाँत नइये ,   मेछा रंगाये  हे

दीदी  के पठोनी हे  भाँटो हर आये  हे

रांधे हे दाई   बरा ,  भजिया ,  सोंहारी

दार  भात   संग  रांधे मछरी तरकारी
घेरी  बेरी  होगे  ये  बिलाई ला खेदारी
कनिहा  पिरागे    धरे बइठे हौं तुतारी

बहिनी ! कारी नंनदिया तोर मोला बिजराये हे

दीदी  के पठोनी हे  भाँटो हर आये  हे

ठेठरी,  खुरमी , करी लाडू    बनवाये हे

अरसा   पपची     घर   भर  मह्माये हे
रखिया के बरी  ,    जीमी कंदा के खुला
ममा दाई पापड़ बिजौरी धर के आये हे 

बड़े बड़े  झाँपी मा जोरन तोर जोराये हे

 दीदी  के पठोनी हे  भाँटो हर आये  हे

बिहने ले  काली  होही  बराती   मन रवाना

उगती सुरुज के बेरा  दीदी , दुरिहा हे जाना
सुरता आही मइके के तैं आँसू झन गिराना
भाई आही लिहे बर   तीजा पोरा के बहाना  

तोर बिना रहूँ कइसे मन हा अकुलाये हे

दीदी  के   पठोनी   हे  भाँटो हर आये  हे

रेशमहिया   लुगरा   मा    गाड़ी   सजाय हे

धौंरा   बइला मा     बइलागाड़ी    फंदाय हे
कुरा ससुर   बहिनी   तोर लकर्री मचाये हे
जल्दी जल्दी करो बिदा कहिके चिल्लाये हे

नता जनम जनम के तोरे गाँठ मा जोराये हे

दीदी  के पठोनी हे  भाँटो हर आये  हे

-श्रीमती सपना निगम
  आदित्य नगर,दुर्ग
  (छत्तीसगढ़)

4 comments:

  1. बहुत मजा आया |गांव देहात म बिहाव के पूरा दृश्य के साथ साथ भाठों ला लेकर हंसी मजाक घलो एकदम मजेदार हवे|हमर छत्तीसगढ़ के संस्कृति के साथ खान पान अऊ धौंरा बईला बहुत बढिया प्रयोग
    धनवाद

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  2. बहुत सुंदर...... आंचलिक शब्द भावों और प्रभावी कर देते हैं.....

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  3. एक-एक पंक्ति से एक-एक चित्र उभर रहा है।
    मनभावन रचना।

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