सिरतोन दाई, मयँ नइ लेवना खायेंव
मयँ भोला-सिधवा लइका हौं ,नवा-साल बर आयेंव
पहिला नवा-साल हे कहिके
केक, बबा हर लाइस
ये करतूत हे बिट्टू कका के
मोला केक खवाइस
मयँ, ददा तीर गोहरायेंव
सिरतोन दाई, मयँ नइ लेवना खायेंव
डोकरी-दाई उहाँ रहिस हे
पूछ ले तयँ महतारी
ये चेहरा-आँखी ला पढ़, ये
बोलयँ नहीं लबारी
कन्झा के केक छरियायेंव
सिरतोन दाई, मयँ नइ लेवना खायेंव
अरुण निगम
केक, बबा हर लाइस
ये करतूत हे बिट्टू कका के
मोला केक खवाइस
मयँ, ददा तीर गोहरायेंव
डोकरी-दाई उहाँ रहिस हे
पूछ ले तयँ महतारी
ये चेहरा-आँखी ला पढ़, ये
बोलयँ नहीं लबारी
पूछ ले तयँ महतारी
ये चेहरा-आँखी ला पढ़, ये
बोलयँ नहीं लबारी
कन्झा के केक छरियायेंव
सिरतोन दाई, मयँ नइ लेवना खायेंव
अरुण निगम
ब्रज - अवधी सरिख छत्तीसगढी बन जातिस सूर - तुलसी सरिख साहित्य हमला रचना हे
ReplyDeleteमैथिली ल विद्यापति जइसे अमर बना दिहिस वोही ढंग के भगीरथ प्रयास हमला करना हे ।
चार - वेद पढ्तेन छ्त्तीसगढी म मोर मन हावय उपनिषद् के घला अनुवाद हमला करना हे
चाणक्य - विदुर नीति पढतेन छ्त्तीसगढी म छ्त्तीसगढ तिजौरी ल मनी मानिक ले भरना हे ॥
मार्मिक सृजन गुरुवर
ReplyDeleteमार्मिक सृजन गुरुवर
ReplyDeleteखूबसूरत पंक्तियाँ
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