श्रीमती सपना निगम की पुनर्प्रस्तुति
(इस ब्लॉग की सर्वाधिक पढ़ी गई व खोज की गई कविता)
शिक्षा ले संस्कार जगय
सुग्घर आचार व्यवहार पगय
रहन – सहन के बदले सलीका
अउ दरिद्रता दूर भगय.
सब प्राणी मा श्रेष्ठ मनुस हे
माटी ओखर प्रमान मँगय
जाग रे तँय धरती के बेटा
पढ़े लिखे मा कुछु नइ खँगय.
अपन देस मा हमला आज , शिक्षा के अलख जगाना हे
स्कूल भेजौ बिन नागा के , लइका - मन ला पढ़ाना हे.
अपढ़ रहइया मनखे मन के
बुद्धि भरमा जाथय
बैगा-गुनिया , ढोंगी बबा मन
ओखर फायदा उठाथँय .
जादू-टोना , माया-जाल मा
मनखे मन ला फँसाथँय
अंध-बिस्वास के नाम मा
धंधा अपन चलाथँय.
अशिक्षा , गरीबी अउ अंध – बिस्वास मिटाना हे
स्कूल भेजौ बिन नागा के , लइका - मन ला पढ़ाना हे.
ननपन मा जो अपढ़ रहिगे
उनला साक्षर बनाना हे
आधा बीच मा छोड़े पढ़ाई
उनला रद्दा देखाना हे.
दिन के काम – काज निपटाबो
संझा पढ़े बर जाना हे
साक्षरता अभियान चलत हे
ओखर फायदा उठाना हे.
शिक्षा के अँजोरी ला - देस मा बगराना हे
स्कूल भेजौ बिन नागा के , लइका - मन ला पढ़ाना हे.
पढ़ो – बढ़ो अभियान
हमर छत्तीसगढ़ के शान
करत – करत अभ्यास मा
बाँचे ले बढ़थे ज्ञान.
( शब्दार्थ : पगय = चाशनी में पक जाना , भगय = भागना , ओखर =उसका , खँगय = घटना/कमी होना, हमला = हमें , उनला = उन्हें , नागा = अनुपस्थिति , लइका = बच्चा
ननपन = छोटी उम्र , रद्दा = रास्ता , अँजोरी = रोशनी , बगराना = फैलाना )
शिक्षा की अलख जगाती सुंदर कविता......
ReplyDeleteशिक्षा की मह्त्ता को उजागर करती सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रेरणादायक साक्षरता गीत....बधाई.
ReplyDeleteशिक्षा के प्रति प्रेरित करती सुंदर कविता......
ReplyDeleteप्रेरणादायी गीत और नीचे शब्दार्थ देकर सुबोध बना दिया आपने शुक्रिया
ReplyDeleteaabhar apka ....
ReplyDeleteजब पढ़ेंगे, तब बढ़ेंगे।
ReplyDeleteसाक्षरता अभियान पर बेजोड़ रचना।
प्रेरित करती रचना....
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