Saturday, March 12, 2011

गीत - "कुकरी महारानी"

- श्रीमती  सपना निगम

कइसने  नरी - ला टेड़वाय
गजब    पाँखी   फड़फड़ाय
येती   कुकरी   कोरकोराय
वोती    कुकरा     नरियाय
कूद- फांद  के चढ़े खपरा- छानी
एला हकालौ हो ननदी- देवरानी .


कोड़ा   देवय   ,नइ  मानय
गजब    कचरा      बगराय
कहूँ     गेंगरवा      सपराय 
एके     सांहस -  मा    खाय
दिन- भर किन्जरे बर जाय
सँझा कुरिया- मा ओयलाय
कोन्हों करे नइ  इंकरे  निगरानी
एला हकालौ  हो ननदी - देवरानी .


रुखराई  -  मा   चढ़    जाय
कुकरुस  -  कू      नरियाय
कहूँ     घुरवा    देखे    पाय
भात - बासी  बिन के  खाय
जेखर   खिरपा   नइ देवाय
वोखर घर -मा  खुसर जाय
हवय कुकरी के कोन्हों लागमानी
 एला हकालौ  हो ननदी - देवरानी .


सूपा     के      कनकी -  ला
सरी   बीन     के         खागे
गहूँ  -  ला   सुखोए      रहेवं
सब्बो                     बगरागे
बिलई के आरो पागे,कुकरी डर्रागे 
नान  -  नान  चियाँ - पिला
जतर    -   कतर         भागे
अउ कुकरा भुलागे   पहलवानी
एला हकालौ हो ननदी- देवरानी .


रद्दा रेंगाय नहि इंकरे  मन के मारे
परछी-दुवारी मा गजब पचरी पारे
काली     के       लिपाये      रहिस
आज          ओदरा                 डारे
सरी      घर  -         दुवार         के
कोठार              बना               डारे
गाँव         भर   के   रहे   परिसानी
 हकालौ  हो  ननदी   -       देवरानी .
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