
1.
अँधियारी
हारय सदा , राज करय उजियार
देवारी मा तयँ दिया, मया-पिरित के बार ||
2.
नान नान नोनी मनन,
तरि नरि नाना गायँ
सुआ-गीत मा नाच के,
सबके मन हरसायँ ||
3.
जुगुर-बुगुर दियना जरिस,सुटुर-सुटुर दिन रेंग
जग्गू घर-मा फड़ जमिस,
आज जुआ के नेंग ||
अरुण कुमार निगम
(देवारी=दीवाली,तयँ=तुम,पिरित=प्रीत,नान नान=छोटी छोटी,नोनी=लड़कियाँ, “तरि नरि नाना”- छत्तीसगढ़ी के पारम्परिक सुआ गीत की प्रमुख पंक्तियाँ, जुगुर-बुगुर=जगमग जगमग,दियना=दिया/दीपक,जरिस=जले,
सुटुर-सुटुर=जाने की एक अदा,दिन रेंग=चल दिए,फड़ जमिस=जुआ खेलने के लिए बैठक लगना,नेंग=रिवाज)