Wednesday, January 7, 2015


सिरतोन दाई, मयँ नइ लेवना खायेंव 

मयँ भोला-सिधवा लइका हौं ,नवा-साल बर आयेंव

पहिला नवा-साल हे कहिके
केक, बबा हर लाइस
ये करतूत हे बिट्टू कका के
मोला केक खवाइस

मयँ, ददा तीर गोहरायेंव 
सिरतोन दाई, मयँ नइ लेवना खायेंव

डोकरी-दाई उहाँ रहिस हे
पूछ ले तयँ महतारी
ये चेहरा-आँखी ला पढ़, ये
बोलयँ नहीं लबारी 

कन्झा के केक छरियायेंव
सिरतोन दाई, मयँ नइ लेवना खायेंव

अरुण निगम 

Thursday, January 1, 2015

चिटिक अगोरव.....



अँगरेजी के नवा साल बर, अतिक मया जी
कोन डहर ले  आइस , अइसन परंपरा जी  

डीजे – फीजे , नाचा – वाचा , दारू - सारू
लइका त लइका , झूमत हें  कका-बबा जी
 
उपभोक्तावादी  मन  के  तो ,  चाँदी  होगे
सेंकय रोटी , आघू  देखय , गरम तवा जी 

चैत महीना , उल्ह्वा - उल्ह्वा  डारा – पाना
चिटिक अगोरव आही असली साल नवा जी 

   
-          अरुण निगम

[हिन्दी भावार्थ - 
अंग्रेजी के नये साल के लिये इतना प्रेम !!!! किस ओर से ऐसी परम्परा आई ?
 डीजे, डांस, शराब....युवा तो युवा चाचा और दादा भी झूम रहे हैं.
 उपभोक्तावादियों की तो मानों चाँदी हो गई, सामने गर्म तवा देख रोटी सेंक रहे हैं .
चैत्र मास में नई-नई कोंपलें, डालियाँ और पत्ते, थोड़ी प्रतीक्षा करें, वास्तविक नव-वर्ष आ रहा  है. ]

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